क्या आइसक्रीम उत्पादक आइसक्रीम की अन्न नियामक आवश्यकताओं के बारे में अवगत हैं?
क्या आइसक्रीम उत्पादक आइसक्रीम की अन्न नियामक आवश्यकताओं के बारे में अवगत हैं?

गर्मियों के आते ही आइस-क्रीम साधारणतः हर तरह की आकर्षक प्रतिमाओं के साथ प्रचारित किए जाते हैं और ऐसे उत्पाद के रूप में ललचाते हैं कि उपभोक्ता किसी हाल में उन्हें लिए बिना नहीं रह पाते। गर्मियों में राहत दिलाने वाले स्वादिष्ट आइसक्रीम बार्स, सैंडविचेस और स्कूप्स के रूप में आते हैं और साधरणतः अलग स्वाद, मेवे और चॉकलेट चिप्स की कतरन बिछाकर पेश किए जाते हैं, जिनकी वजह से आइसक्रीम और भी लुभावने नजर आते हैं।

लेकिन, आइसक्रीम उत्पादकों को आइसक्रीम के बारे में कल्पनाशील होते हुए, अन्न नियमों का ध्यान भी रखना चाहिए, ताकि उपभोक्ता उनके उत्पादों का सुरक्षित रूप से आनंद ले सकें।

 भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने आइसक्रीम को “दूध-आधारित डेजर्ट्स/कन्फेक्शन्स” के अंतर्गत श्रेणीबद्ध किया है और आइस-क्रीम की इस श्रेणी में उन्होंने आइस-क्रीम, कुल्फी, चॉकलेट आइस-क्रीम और सॉफ्टी आइस-क्रीम का समावेश किया है, जो  “निर्जंतुक किए हुए दूध या दूध से पाए गए पदार्थों के मिश्रण के हिमीकरण से पाए बनाए जाते हैं और इनमें पोषक स्वीटनिंग घटक, फल तथा फलोत्पाद, अंडे या अंडे से बने उत्पाद, कॉफी, कोको, चॉकलेट, चटनियां, अदरक और मेवे हो सकते हैं/नहीं हो सकते हैं और एक अलग सतह/ आवरण के रूप में केक या कुकीज जैसे बेकरी उत्पाद हो सकते हैं।”

आइसक्रीम्स या तो फ्रोज़न हार्ड (जमाए हुए और कठोर) हो सकते हैं या फिर नरम गाढ़े हो सकते हैं, लेकिन उनमें आनंददायी स्वाद और खुशबू होनी चाहिए और कोई भिन्न स्वाद या गंध होनी नहीं चाहिए। आइसक्रीम में परमिटेड एडिटिव्ज हो सकते हैं, लेकिन एफएसएसएआई (FSSAI) कहता है कि उत्पाद ‘माइक्रोबाइलॉजिकल पैरामीटर्स के लिए परीक्षित’ होना चाहिए, ताकि उसमें सैलमोनेला, स्टेफाइलोकोकस, लिस्टेरिआ या अन्य जीवाणु, जो इंसानी बीमारी उत्पन्न कर सकते हैं और कृषि-पशुओं से संबंधित होते हैं, नहीं होने चाहिए।   

आइसक्रीम को कुल सॉलिड्स, मिल्क फैट, इस्तेमाल किए गए मिल्क प्रोटीन के अनुपात के आधार पर आइसक्रीम, मीडियम फैट आइसक्रीम और लो फैट आइसक्रीम के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया है, जहाँ चॉकलेट, केक या उन जैसे खाद्य आवरण, आधार या सतहों के रूप में या उत्पाद से अलग भाग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वहाँ सिर्फ ‘आइसक्रीम’ का हिस्सा नीचे दिए गए तख्ते में दी हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बाध्य है। एफबीओज ने ये ध्यान में रखना आवश्यक है कि लेबल पर आइसक्रीम टाइप (मीडियम या लो फैट) स्पष्ट रूप से निदेशित किया गया हो, अन्यथा आइसक्रीम के मानक लागू किए जाएंगे।

आवश्यकता            आइस-क्रीम           मीडियम फैट आइस-क्रीम        लो फैट आइस –क्रीम

  •               (2)                      (3)                         (4)          

कुल सॉलिड            36.0 प्रतिशत से       30.0 प्रतिशत से              26.0 प्रतिशत से

                     कम नहीं              कम नहीं                     कम नहीं

 

वजन/घन              525 से कम नहीं       475 से कम नहीं              475 से कम नहीं      

(ग्रा./ मि.लि.)

 

मिल्क फैट            10.0 प्रतिशत से       2.5 प्रतिशत से अधिक लेकिन    2.5 प्रतिशत से

                     कम नहीं              10.0 प्रतिशत से अधिक नहीं     कम नहीं

 

मिल्क प्रोटिन          3.5 प्रतिशत से         3.5 प्रतिशत से               3.0 प्रतिशत से

(Nx6.38)              कम नहीं              कम नहीं                     कम नहीं

FSSAI विनियमों में और एक परिभाषा है, जो आइसक्रीम के समान है लेकिन उसे फ्रोज़न डेजर्ट/ फ्रोज़न कन्फेक्शन कहा जाता है। इस उत्पाद को “मिल्क फैट और/ या एडिबल वनस्पति तेलों और फैट्स जिनका संयोग में 37˚ C से अधिक मेल्टिंग पॉईंट न हो से और सिर्फ मिल्क प्रोटीन या संयोग में/ या वनस्पति प्रोटिन उत्पाद अकेले या संयोग में और पोषक स्वीटनिंग एजंट जैसे कि चीनी, डेक्सट्रोज, फ्रुक्टोज, लिक्विड ग्लुकोज, ड्राइड ग्लुकोज, माल्टोडेक्सट्रीन, हाई माल्टोज कॉर्न सायरप, शहद, फल और फल उत्पाद, अंडे या अंडे के उत्पाद, कॉफी, कोको, चॉकलेट, कॉन्डिमेंट, मसाले, अदरक और मेवे से बनाए गए और निर्जंतुक किए गए मिश्रण के हिमीकरण से प्राप्त उत्पाद” के रूप में परिभाषित किया गया है।

आइसक्रीम ही की तरह फ्रोज़न डेजर्ट/ फ्रोजन कन्फेक्शन, मीडियम फैट फ्रोजन डेजर्ट/ कन्फेक्शन और लो फैट फ्रोजन डेजर्ट/ कन्फेक्शन में श्रेणीबद्ध किया गया है। मिल्क फैट और प्रोटीन की आवश्यकताएं भी वहीं हैं, सिवाय ये कि यहाँ प्रोटिन एनx6.25 है जबकि आइसक्रीम में वह  एनx6.38 है एनx6.38 फ्रोजन डेजर्ट में केक या कुकीज की एक अलग परत भी हो सकती है।

 

अंतर कहां है?

खाद्य व्यवसाय संचालक साधारणतः गर्मियों में मीठे फ्रोजन फूड्स की मांग को पूरी करने व्यस्त होते हैं, लेकिन उन्हें थोड़ा रूक कर ये देखना चाहिए कि उन्हें आइस-क्रीम और फ्रोजन डेजर्ट के बीच का अंतर मालूम है भी या नहीं, ताकि ग्राहक दोनों को एक ही समझ न बैठें। हालांकि दोनों में मिल्क सॉलिड्स, फैट्स और प्रोटिन्सहोत हैं, कई ऐसे घटक होते हैं, जो बिलकुल ही अलग होते हैं।

उन घटकों में से एक जो फ्रोजन फूड में अनुज्ञित है, लेकिन आइसक्रीम में नहीं, वह है वनस्पति तेल और फैट्स।

हालांकि आप विनियमनों द्वारा अनुज्ञित कोई भी इमल्सिफाइंग और स्टेबिलाइज़िंग एजंट्स फ्रोजन डेजर्ट्स में इस्तेमाल कर सकते हैं, आइसक्रीम में वह अनुज्ञित नहीं है {3.1.6(7)}

 

 

लेबलिंग आवश्यकताएं

एफएसएसएआई (FSSAI) स्पष्ट करता है कि सभी आइसक्रीम बिक्रेताओं के लिए ये अनिवार्य है कि वे उनका नाम और पता तथा उत्पादक का नाम और पता स्टॉल, गाड़ी या डिब्बे पर, जैसा कि केस हो, “सुवाच्य और सुस्पष्ट” रूप में प्रदर्शित करे।

एफएसएसएआई (FSSAI) साफ तौर पर ये भी कहता है कि विनियम 2.7.1(2) में दर्शाए गए अनुसार स्टार्च सम्मिलित आइसक्रीम, कुल्फी और चॉकलेट आइसक्रीम के हर एक पैकेज पर उस अर्थ की घोषणा होना आवश्यक है।

ये लेख खाद्य और पेय संचालकों की याददाश्त ताजा करने का एक प्रयास है, ताकि वे अनुज्ञित पदार्थ और अतिरिक्त घटक ही इस्तेमाल करें, जिससे कि आइसक्रीम के प्रेमी भारतीय उपभोक्ताओं को विश्वास मिल सके कि वे खाने के लिए सुरक्षित उत्पाद ग्रहण कर रहे हैं, जिससे कि ग्राहक उचित चुनाव करें। खाद्य और पेय संचालकों ने आइसक्रीम को सही ढंग से लेबल करना आवश्यक है, क्योंकि आइसक्रीम और फ्रोज़न डेजर्ट में, खास कर अनुज्ञित घटकों के बारे में, बहुत अंतर है। लेबलिंग भी इस तरह हो कि साधारण उपभोक्ता धोखा न खाए। सर्वोच्च खाद्य विनियामक ने भी आइसक्रीम्स और फ्रोज़न डेजर्ट के बीच अधिक स्पष्टता लानी चाहिए, ताकि उन दोनों के बीच उपभोक्ता गुमराह न हो।

 

लेखक के बारे में : डॉ. सौरभ अरोरा फूड सेफ्टी हेल्पलाइन और ऑरिगा रिसर्च लिमिटेड लैबोरिटिरीज के प्रमुख हैं

 
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